कहीं दूर जब दिन ढल जाये..
सांज सी दुल्हन.. बदन चुराए..
चुपके से आये..
" मेरे खयालो के आँगन में..
कोई सपनोके दीप जलाये..
दीप जलाये..
"कहीं तो ये, दिल कभी, मिल नहीं पाते..
कहीं से निकल आये, जन्मो के नाते..
घनी थी उलझन, बैरी अपना मन..
अपना ही होके सहे दर्द पराये..
दर्द पराये..!!"